मन्वन्तरं तु दिव्यानां युगानामेकसप्ततिः । संवर्त: प्रलय: कल्पः क्षय: कल्पान्त इत्यपि ॥ २२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | मन्वन्तर | मन्वन्तरम् | नपुंसकलिङ्गः | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः | |
2 | संवर्त | संवर्तः | पुंलिङ्गः | संवर्तते जगदत्र । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | प्रलय | प्रलयः | पुंलिङ्गः | प्रलीयतेऽत्र । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | कल्प | कल्पः | पुंलिङ्गः | कल्प्यन्ते विरुद्धलक्षणया क्षीयन्तेऽत्र । | घ | कृत् | अकारान्तः |
5 | क्षय | क्षयः | पुंलिङ्गः | क्षीयन्ते प्राणिनोऽत्र । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
6 | कल्पान्त | कल्पान्तः | पुंलिङ्गः | कल्पस्यान्तोऽवधिः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |